भारत में विवाह से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो अक्सर हर आदमी के मन में कभी न कभी जरुर आते हैं. इसलिए आज जान लीजिये ये सभी कानूनी नियम जो भारत में शादी से सम्बंधित हैं.
- भारत में विवाह के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
भारत में न्यूनतम वैध विवाह आयु महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है। - भारत में विवाह रजिस्टर करवाने की प्रक्रिया क्या है?
भारत में विवाह हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम या भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर किया जा सकता है, जो जोड़ी के धर्म के आधार पर होता है। इस प्रक्रिया में उचित दस्तावेजों को जमा करवाकर जोड़ी को संबंधित रजिस्ट्रार के साथ रजिस्टर किया जाता है। - भारत में विवाह रजिस्टर कराने के लिए कौन से दस्तावेज आवश्यक होते हैं?
भारत में विवाह रजिस्टर कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज आईडेंटिटी का प्रमाण, उम्र का प्रमाण और पते का प्रमाण होता है। इसके अलावा, दुल्हन और दुल्हे की फोटोग्राफ, शादी का निमंत्रण पत्र और गवाह भी आवश्यक होते हैं। - क्या भारत में कोर्ट मैरिज करना वैध है? हाँ, भारत में कोर्ट मैरिज वैध है। कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर किया जाता है और उसमें जोड़ी के धर्म या जाति के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है।
- क्या भारत में गे या लेस्बियन कपल शादी कर सकते हैं?
नहीं, भारत में गे या लेस्बियन कपल शादी वैध नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम ने केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह को वैध माना है। - भारत में विवाह तलाक के बाद कब मान्य होता है?
तलाक के बाद भारत में विवाह तब तक मान्य होता है जब तक उसके खिलाफ कोई अदालती आदेश नहीं हुआ है। इसके अलावा, तलाक के बाद जोड़ी को अपनी पति या पत्नी के सम्पति और संपत्ति के अधिकारों पर भी ध्यान देना होगा। - भारत में विवाह के बाद अंतरिम आदेश कैसे प्राप्त किए जा सकते हैं?
विवाह के बाद अंतरिम आदेश प्राप्त करने के लिए जोड़ी को उचित अदालत में जमा करना होगा। जब तक विवाह विच्छेद अंतिम हो जाता है, जोड़ी को अंतरिम आदेश के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर आदेश जारी करने के लिए अदालत से अनुमति मिलती है। इसे विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया जाता है। - भारत में विवाह के बाद सम्पत्ति के अधिकार किसे होते हैं?
भारत में विवाह के बाद संपत्ति के अधिकार जोड़ी के संगठित विवाह अधिनियम द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। यह अधिनियम जोड़ी के विवाह के समय अंतिम संपत्ति और संपत्ति के अधिकारों को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम और मुस्लिम शरीयत अधिनियम भी संपत्ति के अधिकारों को विवाह के बाद नियंत्रित करते हैं। - भारत में अंतरजातीय विवाह के बारे में क्या है?
भारत में अंतरजातीय विवाह वैध है और इसमें किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता है। हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम के तहत अंतरजातीय विवाह वैध होता है। इसके अलावा, भारतीय संविधान भी सभी नागरिकों को भारत में आजादी और अवसरों के समान अधिकारों का अधिकार देता है। अगर व्यक्ति अपने इच्छा से अंतरजातीय विवाह करता है, तो इसे कोई भी प्रतिबंध नहीं हो सकता है। - भारत में समलैंगिक विवाह कानूनी है?
नहीं, भारत में समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्य नहीं है। संघीय स्तर पर, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 377 समलैंगिकता को अपराध मानती है। इसके अलावा, भारत में कुछ राज्यों में समलैंगिक विवाह को अवैध घोषित कर दिया गया है। - भारत में आयु से संबंधित विवाह कानून क्या है?
भारत में विवाह के लिए न्यूनतम आयु वेतन के अनुसार निर्धारित होता है। विशेष विवाह अधिनियम के तहत, हिंदू विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। लेकिन, लड़की की उम्र 15 वर्ष से कम नहीं हो सकती है और लड़के की उम्र 18 से कम नहीं हो सकती है। अन्य धर्मों के लिए, इस न्यूनतम आयु सीमा में थोड़े-थोड़े अंतर हो सकते हैं। - भारत में दो विवाह करना कानूनी है?
नहीं, भारत में दो विवाह करना कानूनी रूप से मान्य नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, दो विवाह करना अवैध है और इसके लिए सजा भी हो सकती है। इसके अलावा, अन्य धर्मों में भी दो विवाह को अवैध घोषित कर दिया गया है। - भारत में विवाह के लिए दांहेदारी की जरूरत है?
हाँ, भारत में विवाह के लिए दांहेदारी की जरूरत होती है। दांहेदार विवाह अधिनियम के तहत, दांहेदार विवाह वैध होता है और वह व्यक्ति जो अपनी पत्नी के लिए दांहेदार होता है, उसे विवाह के दौरान उसकी पत्नी के साथ कुछ संपत्ति का हिस्सा मिलता है। इसके लिए, दो गवाहों की जरूरत होती है जो विवाह सम्पन्न होने का साक्षी होते हैं। इसके अलावा, दांहेदार विवाह ने समाज में समानता के आधार पर अपनी महत्ता बनाए रखी है। यह महिलाओं को उनके पति के साथ समान हिस्सा देने की जिम्मेदारी भी लेता है। - भारत में गोलबंदी का कानून है?
हाँ, भारत में गोलबंदी के खिलाफ कानून है। गोलबंदी के अंतर्गत, लड़की के माता-पिता या साक्षी के जरिए लड़की के संबंध में कोई अनुचित दबाव नहीं डाल सकते। यदि यह कोई भी करता है, तो वह दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हो सकता है। - भारत में बाल विवाह क्यों नहीं होना चाहिए?
बाल विवाह एक घोर अन्याय है जो बचपन की उम्र में विवाहित होने वाले बच्चों के साथ होता है। यह उन्हें अधिक दिक्कतों का सामना करने के लिए मजबूर करता है, जैसे कि शिक्षा, स्वस्थ जीवन शैली और सामाजिक उत्थान। भारत में बाल विवाह को अवैध कर दिया गया है और ऐसा करने वालों को कठोर दंड और सजा के लिए उत्तरदायी माना जाता है। बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ाने के लिए भी भारत सरकार ने कई अभियान चलाए हैं। - क्या भारत में एक व्यक्ति दो बार शादी कर सकता है?
हाँ, भारत में एक व्यक्ति दो बार शादी कर सकता है। हालांकि, उसे इसके लिए पहले से ही अपनी पहली पत्नी से तलाक लेना आवश्यक होगा। दो बार शादी करने वाले व्यक्तियों को अपनी दोनों पत्नियों के साथ समझौते पर सहमत होना चाहिए, जिससे उन्हें कोई विवाद न हो। - भारत में दो धर्मों के लोग एक-दूसरे से शादी कर सकते हैं?
हाँ, भारत में दो धर्मों के लोग एक-दूसरे से शादी कर सकते हैं। इसके लिए, दोनों के पास एक-दूसरे से शादी करने की इच्छा होनी चाहिए और वे इसमें सहमत होने चाहिए। इसके लिए अधिकांश लोगों को अपने धर्म के अनुसार विवाह रचाना होता है, लेकिन वे इसमें कुछ विशेष नियमों का पालन करने के लिए भी तैयार होना चाहिए।